Swamiji conducting Yajyen वाल्मीकि जी ने यह बात वाल्मीकि रामायण में लिखी है कि “ना निरग्निः” (वाल्मीकि रामायण १-६-१२)। पिछले जमाने में कोई घर नहीं था जहां अग्निहोत्र ना होता हो। सब मिलकर हवन करते थे और सब सुखी थे। जो भी सेवक बिछड़ गए हैं, सब बहुत अमीर होकर गए हैं। वह...
Swamiji Performing Anushthaan of Four Vedas यज्ञ में आशीर्वाद मिलना आजकल असंभव है। जो भी मिल रहे हैं वो अनमोल हैं। वेदों में भगवान ने कोई भी विषय नहीं छोड़ा है। इन मंत्रों में औषधियों का ज्ञान है। वेदों में तिनके से लगाकर ब्रह्म तक वर्णन किया है। पंचतन्मात्राणि...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् न स स्वो दक्षो वरुण ध्रुति: सा सुरा मन्युर्विभीदको अचित्तिः। अस्ति ज्यायान्कनीयस उपारे स्वप्नश्चनेदनृतस्य प्रयोता ॥ (ऋग्वेद ७/८६/६) (वरुण) हे परमेश्वर (स्वः) अपने स्वभाव से जो...
ईश्वर का ज्ञान अनंत है और अद्भुत है। देखो कि यह वेद भी मनुष्य के शरीर में प्रकट होते हैं, ईश्वर भी इसी शरीर में प्रकट होता है। वेद भी निराकार हैं, ईश्वर भी निराकार है। चारों वेदों का मुख्य लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है। मतलब तिनके से ब्रह्म तक का ज्ञान और अनंत ज्ञान...
यह मैंने बहुत बार समझाया है और आपको पक्का समझ में आया होगा। यह जो आप मंत्र उच्चारण कर रहे हो, यह बड़ा दुर्लभ है। यह ईश्वर की प्रार्थना स्तुति और उपासना है। से बस कभी कम कमजोर मत करना। कमजोर का मतलब है कि यह सोच कि हम क्या बोल रहे हैं? हम प्रतिदिन उपासना करें तो...