Brief Notes from Yajyen – June 28, 2020

ओ३म् आ नो गहि सख्येभिः शिवेभिर्महान्महीभिरूतिभिः सरण्यन्।  अस्मे रयिं बहुलं संतरुत्रं सुवाचं भागं यशसं कृधी नः॥ (ऋग्वेद मंत्र ३/१/१९) भावार्थ: यदि मनुष्यः सुमित्राणि प्राप्नुयात्तर्हि तं महती श्रीः कथं न प्राप्नुयात्।  इस मंत्र में भगवान कह रहा है कि अगर...

Brief Notes from Yajyen – June 27, 2020

सबसे महान कार्य जो इस शरीर से जीवात्मा ने करवाना होता है वह यज्ञ है।  यज्ञ में ब्रह्मा प्रवचन करता है, बोलता है, विद्या दान करता है। वही ब्रह्मा योग की शिक्षा और हर चीज की शिक्षा देता है।  यह सबसे श्रेष्ठ कर्म है।   नामकरण या तो जन्म के समय या १०१ दिन के बाद जब मर्जी...

Brief Notes from Yajyen – June 26, 2020

वेद अनंत ज्ञान के भंडार हैं।  कल किसी चीज का वर्णन था, आज किसी और चीज का वर्णन चल रहा है।   ओ३म् विश्वे देवास आ गत शृणुता म इमं हवम्। एदं बर्हिर्नि षीदत॥ (ऋग्वेद मंत्र २/४१/१३) जो विद्यार्थी विद्वान् से पढ़ते हैं, वे विद्वानों से यह कहे कि हे आचार्य! आप...

Brief Notes from Yajyen – June 24, 2020

भगवान ने इन मंत्रों में इंजीनियरिंग का ज्ञान दिया हैI  इनमें कहा है कि अच्छे-अच्छे यान बनाओ जैसे हवाई जहाज आदिI  यह अग्नि और जल से चलेंI  वेद अनादि हैंI  आज जितने भी हवाई जहाज,  कार,  पानी के जहाज यह सब हवा पानी और बिजली से ही चलते...

Brief Notes from Yajyen – June 23, 2020

ओ३म् तुभ्यं हिन्वानो वसिष्ट गा अपोऽधुक्षन्त्सीमविभिरद्रिभिर्नरः।  पिबेन्द्र स्वाहा प्रहुतं वषट्कृतं होत्रादा सोमं प्रथमो य ईशिषे॥ (ऋग्वेद मंत्र २/३६/१) हम चाहे गरीब घर में पैदा हो चाहे अमीर घर में,  हमें आध्यात्मिक उन्नति करके गरीबी-अमीरी का फर्क मिटाना...