Questions & Answers – July 28, 2020

DSS: गुरुजी को मेरा दंडोत्वत चरण स्पर्श। स्वामी जी मैं आपका तहेदिल से स्वागत करता हूँ और आपको ही विश्व का चक्रवर्ती राजा मानता हूँ क्योंकि राजा में आप जैसे गुण होने चाहिए। वो आज देखने को दूर-दूर तक नहीं मिलते। यदि किसी नेता से अगर बात होती है वेदों के प्रचार वास्ते तो...

Brief Notes from Yajyen – July 21, 2020

पृथिवी पर हर समय एक यथार्थ वक्ता की आवश्यकता है।  यथार्थ वक्ता का मतलब है कि जो जैसा है वैसा ही बोलना।  इसमें प्रमाण यही है कि ईश्वर जैसा है वैसा ही बोलो।  अपनी मर्जी से क्यों बोलते हो?  वेदों में ईश्वर का जैसा वर्णन है वही बोलो।  वह जो बोलेगा और  जो वेदों को सुनेगा...

Questions & Answers – July 21, 2020

Farooq Khan: Hii, my question is that vedas say that the earth is static. In Rigved 2/12/12 it is said that Oh man! He who made the trembling earth static is Indra. Second thing i want to ask that the Hindu demons worship any god of any religion? Swami Ram Swarup: My...

Brief Notes from Yajyen – July 19, 2020

ओ३म् एतास्ते अग्रे समिधस्त्वमिद्धः समिद्भव।  अयुरस्मासु धेह्य्म्रितत्व्माचर्याय। (अथर्ववेद मंत्र १९/६४/४) यह आचार्य के लिए निरोगता और आयु बढ़ाने वाला मंत्र है।  इसका अर्थ है कि ध्यान, धर्माचरण,  आचार्य की आयु और निरोगता बड़े।  इस मंत्र का यह भी भाव...

Brief Notes from Yajyen – July 18, 2020

आयुर्यज्ञेन कल्पतां (यजुर्वेद १८/२९)  आयु यज्ञ से बढ़ती है। यह basic principle (मौलिक सिद्धांत) है। आप लोगों के यज्ञ कर्म कभी मिथ्या नहीं  जाएंगे।  किया हुआ कर्म कभी मिथ्या नहीं जाएगा। शिष्यों को ध्यान में रखना चाहिए कि अभी गुरु का जीवन यज्ञ, शिक्षा, आशीर्वाद और ईश्वर...