Brief Notes from Yajyen – June 02, 2020

Swamiji conducting Yajyen वाल्मीकि जी ने यह बात वाल्मीकि रामायण में लिखी है कि “ना निरग्निः” (वाल्मीकि रामायण १-६-१२)। पिछले जमाने में कोई घर नहीं था जहां अग्निहोत्र ना होता हो। सब मिलकर हवन करते थे और सब सुखी थे। जो भी सेवक बिछड़ गए हैं, सब बहुत अमीर होकर गए हैं। वह...

Brief Notes from Yajyen – May 11, 2020 (in Hindi)

ईश्वर का ज्ञान अनंत है और अद्भुत है। देखो कि यह वेद भी मनुष्य के शरीर में प्रकट होते हैं, ईश्वर भी इसी शरीर में प्रकट होता है। वेद भी निराकार हैं, ईश्वर भी निराकार है।  चारों वेदों का मुख्य लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है। मतलब तिनके से ब्रह्म तक का ज्ञान और अनंत ज्ञान...

Brief Notes from Yajyen – May 10, 2020 (in Hindi)

ओ३म् अध स्वप्नस्य निर्विदेऽभुञ्जतश्च रेवत:। उभा ता बस्रि नश्यतः॥ (ऋग्वेद मंत्र १/१२०/१२) यह जो भगवान का ज्ञान है, वो कमाल का है। जो ऐश्वर्यवान् न देनेवाला वा जो दरिद्री उदारचित्त है, अर्थात् अमीर है पर दानी नहीं है  और दूसरा गरीब है पर उदारचित्त  है –...