ओ३म् अध स्वप्नस्य निर्विदेऽभुञ्जतश्च रेवत:। उभा ता बस्रि नश्यतः॥ (ऋग्वेद मंत्र १/१२०/१२) यह जो भगवान का ज्ञान है, वो कमाल का है। जो ऐश्वर्यवान् न देनेवाला वा जो दरिद्री उदारचित्त है, अर्थात् अमीर है पर दानी नहीं है और दूसरा गरीब है पर उदारचित्त है –...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् उत स्वया तन्वा३ सं वेद तत्कदान्वंतर्वरुणे भुवानि । किं मे हव्यमहृणानो जुषेत कदा मृळीकं सुमना अभि ख्यम् ॥ ऋग्वेद (७/८६/२) मंत्र में परमेश्वर की उपासना का प्रकार का वर्णन किया गया है। (उत) अथवा...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) पृच्छे तदेनो वरुण दिदृक्षूपो एमि चिकितुषो विपृच्छम्। समानमिन्मे कवयश्चिदाहुरयं ह तुभ्यं वरुणो हृणीते॥ (ऋग्वेद ७/८६/३) (वरुण) हे परमात्मा! (पृच्छे) मैं आप से पूछता हूँ कि (तत्) वह (एनः) पाप कौन से हैं...
ऊतय: का अर्थ आप सबको पता है कि ‘रक्षा’ है। आजकल ऐसे मन्त्रों की आहुति बहुत ज़रूरी है। ईश्वर पूरी दुनिया की रक्षा करें, भारत की भी। कोरोना से घबराने की ज़रूरत नहीं है। आप अग्निहोत्र करते रहें, ईश्वर रक्षा करेगा और भारतवर्ष पे भी कृपा है। मैं विश्व के कल्याण के लिया भी...