Anupam: गुरुजी सादर प्रणाम।गुरुजी एक पुस्तक मे मैंने पढ़ा कि वैषेशिक दर्शन को औलोक्य दर्शन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि kanad rishi का एक नाम उलूक भी था।पर गुरुजी उलूक तो उल्लू के लिए आता है।क्या उलूक शब्द का कुछ और भी अर्थ है।गुरुजी आरण्यक साहित्य मैं क्या क्या आता है।गुरुजी हवन से पहले नामजप के लिए अधिक समय नही निकाल पाती क्या यह प्रातःकाल बिना स्नान किये भी कर सकते है।गुरुजी क्या नपजप करते करते ही ध्यान लग जाता है या उसका तरीका अलग है।
Swami Ram Swarup: Blessings beti. Hamne Kanad Rishi ka doosra naam ulook aadi kahin nahi pada. Weh aadarnniya Rishi hue hain. Beti aap jitna bhee samay naam-jaap ke liye nikal paate ho, weh paryapt hai. Han, washroom mein jakar fresh hokar munh haath aadi dhokar naam-jaap kiya ja sakta hai.Naam-jaap karte samay toh dhyan lagana hee hai parantu yeh sab Guruji se seekhna aavashyak hai kyunki vedon se utpann Ashtang Yog Vidya ke aath(8) ang hain.
Yam, Niyam, Asan, Prannayam, Pratyahar, Dhranna, Dhyan, Samadhi.