ARKNAHA – The Vidvaan (knowledgeable of Vedas) who sing Vedas. Without singing, nothing gets perfected (सिद्ध). To do God’s praise (स्तुति) is His worship. Brahma increases his progeny by giving them deeksha (दीक्षा – initiation). They (Brahma) speak the...
अनुष्ठान में किसी किसी मंत्र की व्याख्या होती है| पांचवे सूक्त का पहला मंत्र कहता है कि अधर्म के नाश व पाप से दूर होने से ही ईश्वर प्रसन्न होता है| इसका हमें ध्यान देना चाहिए| मार्ग तो यह ही है – प्रार्थना स्तुति से आहुति| उसमें शिक्षा भी आ रही...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) सम्राळन्यः स्वराळन्य उच्यते वां महान्ताविन्द्रावरुणा महावसू। विश्वे देवास: परमे व्योमनि सं वामोजो वृषणा सं बलं दधुः॥ (ऋग्वेद ७/८२/२) अर्थ – मंत्र में भी परमात्मा ने राजधर्म का उपदेश किया है| राजपुरुष उन्हें कहते...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, द्वारा १९७८ से हर वर्ष किया जाने वाला चारों वेदों का यज्ञानुष्ठान आज (अप्रैल २६ , २०२० को) आरम्भ हुआ| स्वामीजी ने प्रवचन में कहा: हम यज्ञ करते रहेंगे| चाहे दो महीने लगे चाहे तीन महीने लगें| पूर्णाहुति जब होगी तब आपको पता चल जायेगा| जब...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) इन्द्रावरुणा युवमध्वराय नो विशे जनाय महि शर्म यछतम् | दीर्घप्रयज्युमति यो वनुष्यति वयं जयेम पृतनासु दुढय:|| (ऋग्वेद ७/८२/१) अर्थ – (दु: धय:) दुर्बुद्धि लोग जो (पृतनासु) युद्धों में (यः) जो...
SS: Maharaj ji Pranam. Kripya samadhaan kare ki Kya ishwar ka gyaan aur prapti anumaan se hi hoti hai ta pratyaksh anubhav hota hai. Human Ishwar ka dhyaan karte hue pratyaksh anubhuti ka wait karna chahiye ya anumaan se samajhne ka prayatan karna chahiye. Swami Ram...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ऋग्वेद मंत्र १/२२/१५ का भाव है कि ईश्वर ने यह पृथिवी मनुष्यों को अनेक प्रकार के सुख देने के लिए बनाई है जिसमें दुःख देने वाले कांटे आदि भी न हों। और यह पृथिवी हमें बहुत से रत्नों को प्राप्त कराने...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ १४/४/२-३/२९ में बहुत सुन्दर वर्णन है कि “जीवात्मा ने चाहा कि मेरी स्त्री हो और मैं संतान उत्पन्न करूँ। मेरे पास धन हो और मैं यज्ञ करूँ। इन सब कामनाओं को चाहने वाला इससे अधिक न...