वेद सुनने के लिए प्रातः काल की वेला अच्छी होती है। ओ३म् ईळे द्यावापृथिवी पूर्वचित्तयेऽग्निं घर्मं सुरुचं यामन्निष्टये। याभिर्भरे कारमंशाय जिन्वथस्ताभिरू षु ऊतिभिरश्विना गतम् ॥ (ऋग्वेद मंत्र 1/76/१) विद्वान से और परमात्मा से प्रार्थना करो! अगर प्रार्थना नहीं...
अनन्ता वै वेदाः – वेद तो अनंत हैं यानी वेद का ज्ञान तो अनंत है और यह कई जन्मों में जीव इसको पा लेता है। यह अमृतवाणी है, मतलब मरती नहीं है। जो आपने सुन लिया है तो आपका हो गया। अगले जन्मों में जो सुनोगे जो पहले सुना नहीं। देव योनि में आओगे फिर जीव भटकेगा...
इस मंत्र में कहा जब मनुष्य वायुयान बना लेता है और उसे चलाना होता है तो अग्नि और वायु की जरूरत पड़ती है। जब इंसान वायुयान बना लेता है और उसको चलाता है तो उसमें और वायु और अग्नि काम करते हैं । वायु अग्नि उसको चलाते हैं। वायु अग्नि कारों में भी, मोटरसाइकिल में भी,...
स्वामी राम स्वरूप जी यज्ञ कराते हुए ओ३म् यद्देवानां मित्रमहः पुरोहितोऽन्तरो यासि दूत्यम् । सिन्धोरिव प्रस्वनितास ऊर्मयोऽग्नेर्भ्राजन्ते अर्चयः ॥ (ऋग्वेद मंत्र १/४४/१२) इसमें परमेश्वर की महिमा है| जैसे परमेश्वर सबका मित्र है, वह किसी से राग द्वेष नहीं करता, सिर्फ...
The aahutis that are put stay with you for several births. Some Rishis took 30,000 or 20,000 births. Sri Krishna also said that the realisation is after ‘Bahunaam Janmnaam Ante’ – after many many births. You should just focus on attaining Devyoni. We should...