Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on November 20, 2022. Here is the brief summary of his preach:
यज्ञ के लिए चाहे प्राण भी चले जाए। यज्ञ आखरी दम तक करने चाहिए।
- इस संसार में भाग्यवान वही है जो ईश्वर के अलौकिक नामों से उनके लिए आहुति डालता है। आजकी दुनिया वेदों के शब्दों को नहीं जानती। वे यह नहीं जानते की “ओम” तो ईश्वर का नाम है और यह वेदों में है।
- यज्ञ करने और वेद सुनने की आज्ञा ईश्वर की है। ईश्वर कहते हैं कि यदि मेरी दी हुई इन्द्रियों से मेरी पूजा नहीं करते तो मैं सच कह रहा हूँ कि मैं तुम्हें नष्ट कर दूँगा।
- जो ईश्वर का नाम लेता है, उसका सिमरन करता है उसे अगले जन्मों में ईश्वर मनुष्य जन्म देते हैं अन्यथा उसे पशु-पक्षी इत्यादि भोग योनि देते हैं जिससे की वह ईश्वर का नाम न ले सकें।
- स्तुति, प्रार्थना और उपासना यह जब तीनों एक साथ बोली जाती है तो उसे ईश्वर की पूजा कहते हैं। एक या दो करने से वह पूजा पूर्ण नहीं होती। अग्निहोत्र के अन्त में तीन बार गायत्री मंत्र की आहुतियाँ डाले और फिर पूर्णाहुति करें।
- ईश्वर कहते है कि यदि मेरा यज्ञ चल रहा है तो मैं आशीर्वाद देता हूँ।