वेदों के अर्थ कमाल के हैंI अच्छी शिक्षा प्राप्त करो और असत्य को नज़दीक न आने दोI असत्य पर क्रोध करोI
ओ३म् ब्रह्मणस्पते सुयमस्य विश्वहा रायः स्याम रथ्यो३ वयस्वतः।
वीरेषु वीराँ उप पृङ्धि नस्त्वं यदीशानो ब्रह्मणा वेषि मे हवम्॥ (ऋग्वेद मंत्र २/२४/१५)
(ये सुसंयताः स्युस्ते चिरं जीवेयुः।) जो संयम में रहते हैं, ब्रह्मचर्य आदि में, उनकी चिरंजीव लंबी आयु होI ब्रह्मचर्य बहुत बड़ी विद्या हैI २५ वर्ष तक ब्रह्मचर्य होता है उसके बाद शादी होती हैI गृहस्थ में भी ब्रह्मचर्य के नियम हैI ये नियम ब्रह्मचर्य – दु:ख निवारक दिव्य मणि पुस्तक में दिए गए हैंI गृहस्थ में ब्रह्मचर्य के नियमों को पढ़ो और उनका पालन करो तो गृहस्थ का सुख लेते हुए जीव ब्रह्मचारी कहलाते हैंI अर्जुन और श्री कृष्ण भी गृहस्थी थे लेकिन ये ब्रह्मचारी कहलाते हैं क्योंकि वे वेद के हिसाब से जीवन गुजारते थेI हमें यहाँ अपनी मर्जी का जीवन बिताने के लिए नहीं भेजा हैI हम वेदों के नियम से बंधे हुए हैंI
(ये ब्रह्मचर्यं पालयेयुस्त आत्मशरीराभ्यां सुवीरा जायन्ते।) (स नो बन्धुर्जनिता – यजुर्वेद मंत्र ३२/१०) वह हमें नियमों से बांधने वाला हैI हम फ्री नहीं हैं कि अपनी मर्जी चलाएँ I जो नियम में रहने वाले हैं, आत्मा से भी, शरीर से भी ये वीर कहलाते हैंI भीष्म पितामह जैसे कमाल के वीरI ब्रह्मचर्य का पालन करो, अर्थात बुरे विचार मत आने दोI नारी है, कन्या है परपुरुष का ध्यान न करे और बेटा है तो परनारी का ध्यान न करेI नियमों पर चलेI नियम बहुत हैंI मैंने किताब में लिख दिए हैंI उन्हें पढ़ोI
ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले आत्मा से भी वीर है और शरीर से भी वीर हैंI वेद के बिना तो हम कुछ भी नहीं है, बिल्कुल पाखंडी हैं और बिल्कुल ही अविद्या-ग्रस्त हैंI
ओ३म् ब्रह्मणस्पते त्वमस्य यन्ता सूक्तस्य बोधि तनयं च जिन्व।
विश्वं तद्भद्रं यदवन्ति देवा बृहद्वदेम विदथे सुवीराः॥ (ऋग्वेद मंत्र २/२४/१६)
(सर्वैर्मनुष्यैः) सारे मनुष्यों के द्वारा क्या क्या करना हैI वेद बोल रहा है कि किस तरह जिएँI वेद नहीं सुनोगे और सुन के समझोगे नहीं, और ब्रह्मचर्य को धारण नहीं करोगे तो क्या जीवन है? कुत्ते-बिल्ली सा गंदा जीवन हैI (सुनियमेन) यह वेद के अच्छे नियम हैंI (वेदार्थान् विज्ञाय) वेदों के अर्थों को जानेI अच्छे नियम जैसे ब्रह्मचर्य आदि, सत्य बोलना, प्रेम से बोलना, राग-द्वेष से दूर रहना – इनको धारण करो फिर यह विद्या समझ में आती हैI
(पूर्णयुवावस्थायां) वेदों के नियमों को जान करके (ब्रह्मचर्य आदि) पूरी युवा अवस्था में जब आ जाते होI पहले 6 वर्ष से गुरुकुल में जाकर वेद का ज्ञान लेने का नियम हैI अब तो संसार ऐसे नियम पर नहीं चल रहा है तो सारे संसार में कहर आयाI
(स्वयंवरं) खुद वर ढूँढोI (विवाहं विधाय) बेटा और बेटी अपनी पसंद का विवाह करेंI स्वयंवर का मतलब है कि स्वयं वर ढूँढ़नाI सीता माता के लिए भी कई राजा आएI किसी को पसंद नहीं कियाI श्री राम के गले में माला डालीI फिर उनका विवाह हुआI ऐसे ही भगवान् श्री कृष्ण महाराज अपने भाई से कहते रहे कि इस कन्या से मेरा विवाह कराओ, वह नहीं मानाI फिर वह रुक्मणि को ले आयेI वो दोनों एक दूसरे को पसंद करते थेI आजकल भी जो पसंद में आ गए उनकी शादी की जानी चाहिए, ज़बरदस्ती नहींI ये वेद का नियम हैI
श्री कृष्ण राजा थे, आजकल ऐसा नहीं करना हैI क़ानून हाथ में लेने वाली बात हो जाती हैI यह नहीं करना कभीI माता-पिता की सहमति से, और कन्या और वर की सहमति से ही विवाह करना चाहिएI