आयुर्यज्ञेन कल्पतां (यजुर्वेद १८/२९) आयु यज्ञ से बढ़ती है। यह basic principle (मौलिक सिद्धांत) है। आप लोगों के यज्ञ कर्म कभी मिथ्या नहीं जाएंगे। किया हुआ कर्म कभी मिथ्या नहीं जाएगा। शिष्यों को ध्यान में रखना चाहिए कि अभी गुरु का जीवन यज्ञ, शिक्षा, आशीर्वाद और ईश्वर के अलावा कुछ नहीं है। गुरु के बेटा बेटी शिष्य ही हैं। वही तो गुरु को वृद्धावस्था में संभालते हैं।
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