Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on December 20, 2022. Here is the brief summary of his preach:
श्रीश्च॑ ते ल॒क्ष्मीश्च॒ पत्न्या॑वहोरा॒त्रे पा॒र्श्वे नक्ष॑त्राणि रू॒पम॒श्विनौ॒ व्यात्त॑म्। इ॒ष्णन्नि॑षाणा॒मुं म॑ऽइषाण सर्वलो॒कं म॑ऽइषाण ॥ (यजुर्वेद मंत्र – 31/22)
यह शरीर परमेश्वर की शोभा है। फूलों में गुलाब, वृक्ष में पीपल एवं मनुष्य के शरीर भी सुन्दर दिखाई देते हैं क्योंकि इन में परमेश्वर विराजमान है। हे परमेश्वर! यह सब कुछ आपका ही है। जीवात्मा और प्रकृति आपके आधीन है। वनस्पति, नर-नारी इत्यादि में आपकी शोभा है, आपकी लीला है। धन, ऐश्वर्य, सुख, शान्ति, आनन्द आपके ही रूप हैं। आप में अनन्त आनन्द हैं। आप सत-चित-आनन्द स्वरुप हैं। आपके बनाये हुए दिन और रात नारी के समान सुख देते हैं। यह सभी परमेश्वर के गुण है।
शरीर, लक्ष्मी, दिन-रात इत्यादि ईश्वर के अनन्त गुणों में से कुछ है। सूर्य-चन्द्रमा परमेश्वर के रूप हैं और उनके मुख के समान है। नक्षत्र, तारे इत्यादि भी आपके रूप हैं। मकान, महल, घोड़े इत्यादि प्रत्यक्ष सुख है। परोक्ष सुख, ब्रह्म का आनन्द है, जो दिखाई नहीं देता। हे मनुष्यों।! यदि तुम सोमरस पाना चाहते हो तो मुझे प्राप्त करने की इच्छा करो। वेद मार्ग पर चलकर अष्टांग योग साधना करो। तो तुम्हें मोक्ष का सुख मिलेगा।
हे प्रभु! मुझे सारे लोक एवं सबके दर्शन प्राप्त कराओ। (समाधि में सभी का दर्शन होता है) मुझे मोक्ष का सुख दो। आप अनुमान प्रमाण में आ जाते हो कि पृथ्वी, सूर्य, वृक्ष इत्यादि मनुष्यों की बनाई रचना नहीं है किन्तु आपकी रचना है।