यज्ञ तीनों लोकों को लाभ देता है। सन १९७८ से ईश्वर व गुरु की कृपा से तीनों लोकों को लाभ पहुँचाया है। योल शाँत एरिया रह रहा है। अभी भी तीनों लोकों को व संगत के एक-एक बच्चे को लाभ देने का मेरा प्रयास है। यज्ञ चलें और आशीर्वाद मुँह से निकलते रहें। यज्ञ चलना बहुत जरूरी है।
यज्ञं कुरु! यज्ञं कुरु! यज्ञ: यज्ञं गच्छ। हे यज्ञ! तू ईश्वर को प्राप्त हो! आपके किए हुए यज्ञ ईश्वर स्वीकार करता है। आप तीनों लोकों को लाभ देते हो।