Anoymous: I want to pursue my career as an actor or modeling in Mumbai. My mother supports my decision but my father against it so what should I do? Swami Ram Swarup: Aashirwad beta. To enable us to send a proper reply, can you please send your good photograph or any...
Anonymous: Please tell more on state of soul after death. Can’t the soul view all the suffering happening after its body died? Can’t the soul see its parents and view it’s life all again? Please clarify. Swami Ram Swarup: In this regard I paste my article...
दीपक: चरण स्पर्श स्वामी जी! क्या आप कोई विशेष मंत्र दे सकते हैं जिनसे में हवन में आहुति डाल सकूं? कोई मंत्र जिससे व्यापार में भी सफलता मिल सके.. धन्यवाद। स्वामी राम स्वरूप: आशीर्वाद बेटा। ‘यज्ञ कर्म सर्वश्रेष्ठ ईश्वर पूजा’ नामक पुस्तक में अर्थ...
Anonymous: How can we get grace of God? Swami Ram Swarup: By following Vedic path everybody got grace of God so you are also advised to follow Vedic path under guidance of learned acharya Anonymous: When I listed to Hare Krishna Hare Rama, I am filled with a different...
Swami Ram Swarupji’s books and other creations are available at Book Fair organized at Punjabi University Patiala. It started on Tuesday, December 07, 2021, and will be on till Sunday, December 12, 2021. The stall was also visited by Hon’ble Dr. Arvind,...
Rishi: Parnam babaji! I heard from somewhere that egg is veg. Is it really veg? Can we eat it for protein as I have bone & muscles weakness and the doctor had advised me to take eggs. Should I? Kindly show me the right path as I am confused. Parnam. Swami Ram...
उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।। (गीता श्लोक ६/५) इस प्रकार हे (पुरुष) शरीर में निवास करने वाली जीवात्मा (ते उद्यानं) तेरी उन्नति हो (न अवयानं) तेरी कभी अवनति ना हो (ते मनः तत्र मा गात्) तेरा मन वहाँ यमलोक में ना जाए...
योऽनधीत्य द्विजो वेदमन्यत्र कुरुते श्रमम्। स जीवन्नेव शूद्रत्वमाशु गच्छति सान्वयः।। (मनुस्मृति श्लोक २/१६८) अर्थात् जो स्वयं को द्विज अर्थात् ब्राह्मण, गुरु, संत आदि कहता है पर वेदों का अध्ययन नहीं किया बल्कि कोई और ही किताबें पढ़ने में श्रम करता है, वह जीवित रहता हुआ...
मअन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भव:। यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमुद्भव:।। (गीता ३/१४) अर्थ – अन्न से सब प्राणी होते हैं अर्थात् अन्न से सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति मेघ से होती है, मेघ अर्थात् वर्षा यज्ञ से होती है। यज्ञ कर्म से उत्पन्न...